बहुत पुरानी बात है। नैमिषारण्य तीर्थ में 88,000 ऋषि मुनि एकत्र हुए थे। उन सभी ने महाज्ञानी श्री सूतजी से पूछा.
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“हे प्रभु! इस कलियुग में जब लोग वेद-शास्त्रों से दूर होते जा रहे हैं, तब वो भगवान की भक्ति कैसे करें? ऐसा कौन-सा व्रत है जिससे कम समय में पुण्य भी मिले और मनचाहा फल भी?”
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सूतजी मुस्कराए और बोले । “हे मुनियों! आपने बहुत सुंदर और लोककल्याण की बात पूछी है। मैं आपको एक अत्यंत प्रभावशाली व्रत के बारे में बताता हूँ, जिसे स्वयं नारदजी ने भगवान लक्ष्मीनारायण से पूछा था।”
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अब सुनिए वो कथा...
एक बार नारद मुनि सभी लोकों में घूमते हुए पृथ्वी लोक पर आए। यहाँ उन्होंने देखा कि मनुष्य अनेक योनियों में जन्म लेकर अपने कर्मों के कारण बहुत दुखी हैं । कोई गरीबी से, कोई बीमारी से, कोई दुःख-दर्द से पीड़ित है।
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नारदजी को यह देखकर बहुत दुःख हुआ। उन्होंने सोचा । "ऐसा कौन-सा उपाय हो जिससे इन सभी का कल्याण हो जाए?" यही सोचते हुए वे सीधे विष्णुलोक पहुँचे। वहाँ उन्होंने भगवान श्रीहरि विष्णु की स्तुति की ।
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“हे प्रभु! आप सर्वशक्तिमान हैं, अनंत हैं, आप ही संसार के रचयिता और पालनकर्ता हैं। कृपया मुझे ऐसा उपाय बताइए जिससे पृथ्वी के दुखी लोग सुखी हो सकें।”
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भगवान विष्णु ने मुस्कराते हुए कहा । “हे नारद! तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। मैं तुम्हें एक ऐसा दिव्य व्रत बताता हूँ जो मृत्युलोक और स्वर्ग दोनों में दुर्लभ है, लेकिन करने में सरल है। यह है सत्यनारायण व्रत।
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जो कोई भी श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत को करता है, उसे इस जीवन में सुख और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।”
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नारदजी ने फिर पूछा । “हे प्रभु! कृपया बताइए इस व्रत का फल क्या है? इसे कैसे करना चाहिए? किसने पहले किया था? और यह व्रत किस दिन करना श्रेष्ठ होता है?”
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भगवान विष्णु बोले । “यह व्रत हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला है। इसे किसी भी शुभ दिन, विशेषकर पूर्णिमा को करना उत्तम माना गया है। भक्तों को शाम के समय विधिपूर्वक सत्यनारायण भगवान की पूजा करनी चाहिए।
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पूजा के लिए नैवेद्य में केले, गेहूं का या साठी के आटे का हलवा, घी, दूध, शक्कर या गुड़ आदि शामिल करना चाहिए। पूजा के बाद ब्राह्मणों और अपने परिवारजनों को भोजन कराएं, फिर स्वयं भोजन करें।
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पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भजन-कीर्तन करें। जो कोई भी इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसकी सारी इच्छाएँ पूरी होती हैं। यह कलियुग में मोक्ष पाने का सबसे सरल उपाय है।”
॥ पहला अध्याय समाप्त ॥ बोलिए श्री सत्यनारायण भगवान की जय!
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सत्यनारायण व्रत कथा | अध्याय 1 | भगवान विष्णु और नारद मुनि की दिव्य कथा | चित्रों सहित हिन्दी कथा
🌸 सत्यनारायण व्रत कथा – अध्याय 1 🌸
इस वीडियो में सुनिए एक प्रेरणादायक और पवित्र कथा, जहाँ भगवान विष्णु स्वयं नारद मुनि को सत्यनारायण व्रत का महत्त्व बताते हैं।
📖 इस अध्याय में:
नैमिषारण्य में 88,000 ऋषियों की सभा
सुत महर्षि द्वारा कलियुग में भक्ति का सरल उपाय बताया जाता है
नारद मुनि का पृथ्वी पर आगमन और मानवता का दुःख देखना
वैकुंठ में भगवान विष्णु से भेंट और संवाद
सत्यनारायण व्रत की विधि और लाभ
🪔 इस कथा को सुनकर जानिए कैसे यह व्रत दुखों का नाश करता है और मोक्ष प्रदान करता है।
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हिंदी कहानियां - Hindi Stories
Satyanarayan Katha
सत्यनारायण व्रत कथा दूसरा अध्याय
सूतजी ने ऋषियों से कहा ।
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“हे मुनियों! अब मैं आपको उस व्यक्ति की सच्ची कहानी सुनाता हूँ, जिसने सबसे पहले इस व्रत को किया था। ध्यान से सुनिए।”
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एक बार, सुंदर नगरी काशी में एक गरीब ब्राह्मण रहता था।
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वह इतना निर्धन था कि रोज़ भूखा-प्यासा इधर-उधर भटकता रहता था, सिर्फ़ दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए।
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एक दिन, प्रभु सत्यनारायण स्वयं ब्राह्मण का वेश धरकर उसके पास आए और बोले ।
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“हे विप्र! तुम इतने दुखी होकर पृथ्वी पर क्यों भटकते हो?”
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वो गरीब ब्राह्मण बोला ।
“मैं बहुत निर्धन हूं प्रभु। भिक्षा मांगकर ही जीवन चला रहा हूं। अगर आपके पास कोई उपाय हो, तो कृपया मुझे बताइए।”
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वृद्ध ब्राह्मण के रूप में भगवान बोले ।
“यदि तुम श्रीसत्यनारायण भगवान का व्रत करो, तो तुम्हारे सारे दुख समाप्त हो जाएंगे। यह व्रत मनोवांछित फल देने वाला है।”
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फिर भगवान ने उस ब्राह्मण को व्रत की पूरी विधि समझाई और अंतर्धान हो गए।
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अब वह ब्राह्मण सोच में पड़ गया । "जिस व्रत के बारे में इस वृद्ध ने कहा, मैं उसे ज़रूर करूंगा।"
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रात भर उसे नींद नहीं आई।
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अगली सुबह वह उठा और भिक्षा के लिए निकल पड़ा।
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उसी दिन उसे भिक्षा में पहले से कहीं अधिक धन मिला।
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उसने उसी धन से अपने बंधु-बांधवों के साथ मिलकर श्रद्धा से श्रीसत्यनारायण भगवान का व्रत किया।
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व्रत के प्रभाव से उसका जीवन पूरी तरह बदल गया। उसका दुख समाप्त हो गया, और उसके घर में समृद्धि आ गई।
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इसके बाद वह ब्राह्मण हर महीने सत्यनारायण व्रत करने लगा।
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और सूतजी कहते हैं
“जो कोई भी इस व्रत को सच्ची श्रद्धा से करता है, उसे न केवल सुख-संपत्ति मिलती है, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।”
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इतना सुनकर ऋषियों ने फिर प्रश्न किया
“हे मुनिवर! हम यह जानना चाहते हैं कि उस ब्राह्मण की कथा सुनकर और किन-किन लोगों ने यह व्रत किया? कृपया हमें भी बताइए।”
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सूतजी बोले
“हे मुनियों! अब सुनिए एक और सच्ची घटना।”
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एक दिन वही ब्राह्मण जब व्रत कर रहा था, तभी एक बूढ़ा लकड़हारा लकड़ियां बेचने के बाद प्यासा होकर उसके घर आया। उसने देखा कि ब्राह्मण पूजा कर रहा है। आदरपूर्वक उसने पूछा
“हे विप्र! आप यह क्या कर रहे हैं?”
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ब्राह्मण ने उत्तर दिया
“यह सत्यनारायण भगवान का व्रत है, जो सभी दुखों का अंत करता है। इसी व्रत के कारण आज मेरे घर में सुख-समृद्धि है।”
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लकड़हारा ये सुनकर बहुत खुश हुआ।
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उसने चरणामृत और प्रसाद ग्रहण किया और मन ही मन ठान लिया
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"आज जो लकड़ी बेचकर जो भी धन मिलेगा, उसी से मैं भी यह व्रत करूंगा।"
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वह नगर गया और लकड़ियाँ उस जगह बेची जहाँ अमीर लोग रहते थे। आश्चर्य की बात यह थी कि उसे लकड़ियों के दाम पहले से चार गुना अधिक मिले।
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बहुत खुश होकर वह बूढ़ा आदमी केले, घी, दूध, दही, शक्कर और गेहूं का आटा लेकर लौटा।
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अपने परिवार और मित्रों को बुलाकर श्रद्धा से सत्यनारायण भगवान का व्रत किया।
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इस व्रत के प्रभाव से वह बूढ़ा लकड़हारा भी धन, संतान और सुखों से भर गया।
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जीवन के अंत में वह भगवान के परम धाम बैकुंठ को प्राप्त हुआ।
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॥ सत्यनारायण व्रत कथा का दूसरा अध्याय संपूर्ण ॥
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बोलिए श्री सत्यनारायण भगवान की जय!
सत्यनारायण व्रत कथा अध्याय 2 – गरीब ब्राह्मण और लकड़हारे की प्रेरणादायक कथा (HD)
इस पवित्र कथा को चित्रों और भावनात्मक वर्णन के साथ जीवंत रूप में देखें। सत्यनारायण व्रत कथा – अध्याय 2 में जानिए एक गरीब ब्राह्मण और एक वृद्ध लकड़हारे की अद्भुत कहानी, जिनकी जिंदगी भगवान सत्यनारायण की कृपा से बदल जाती है।
✨ इस अध्याय में:
काशी के गरीब ब्राह्मण की भगवान से मुलाकात
पहली बार सत्यनारायण व्रत का आयोजन
लकड़हारे का जीवन परिवर्तन
श्रद्धा से प्राप्त समृद्धि और शांति
वैकुंठ की प्राप्ति
📖 यह कथा पुराणों से ली गई है, जिसे आधुनिक चित्रों के साथ प्रस्तुत किया गया है।
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