The Birthday-Hindi
जैसे ही उसकी आँख खुली, मम्मी-पापा चिल्ला पड़े, “हैप्पी बर्थडे, बेटा!”
उसका आठवाँ बर्थडे एकदम झक्कास था—पैनकेक का पहाड़, ऊपर से एकदम चकाचक बेरी, और तीन फ्लेवर के जूस। दोस्त-यार आए, गिफ्ट-विफ्ट फाड़े, खूब हंसी-मजाक हुआ। मम्मी-पापा एकदम खुश होकर बोले, “आज तो बर्थडे गर्ल जो माँगेगी, वही मिलेगा!”
जब विश माँगने का टाइम आया, तो उसने आँखें बंद करके सोचा, “काश, मेरा बर्थडे हमेशा-हमेशा के लिए होता रहे।”
और उसने सारे आठ कैंडल फूँक मारे।
अगली सुबह, फिर वही आवाज़, “हैप्पी बर्थडे, बेटा!”
सब कुछ एकदम जाना-पहचाना सा लग रहा था—पैनकेक, बेरी… जैसे पहले भी हो चुका हो। पर इस बार केक पे नौ कैंडल थे। उसे थोड़ा अजीब लगा, पर उसने सोचा, “छोड़ो यार, शायद गिनती में गड़बड़ हो गई होगी।”
उसकी विश पूरी हो गई थी… ऐसा उसे लगा।
हर रोज़, उसका बर्थडे रिपीट होने लगा। उसके दोस्तों के चेहरे एकदम अनजान लगने लगे, उनकी हँसी झूठी और मुस्कान बनावटी हो गई। केक पे अब दस कैंडल थे… फिर बारह… फिर पंद्रह।
एक दिन, उसने शीशे में खुद को देखा। एक टीनएजर उसे घूर रही थी। उसका दिल धक-धक करने लगा। “ये तो मैंने नहीं चाहा था…”
अगले हफ्ते तक, वो पचीस की हो गई थी। घर एकदम ठंडा और सुना-सुना लग रहा था। मम्मी-पापा की आवाज़ भी काँप रही थी जब वो उसे “हैप्पी बर्थडे” बोल रहे थे। वो एकदम से बूढ़े हो रहे थे।
“प्लीज़, इसे रोक दो,” उसने उस रात कैंडल से गिड़गिड़ाकर कहा, पर उसकी विश पूरी नहीं हुई।
साल ऐसे भागने लगे जैसे कोई उल्टी-सीधी फ़िल्म फ़ास्ट फॉरवर्ड में चल रही हो। वो तीस की हुई… चालीस की… पचास की… घर पुरानी यादों के बोझ से चरमरा रहा था। उसके मम्मी-पापा तो कब के चल बसे थे।
“हैप्पी बर्थडे…” कुछ अजनबी लोग, जिन्हें वो पहचान भी नहीं पा रही थी, खाली आँखों से फुसफुसाए। क्या वो उसके बच्चे थे… या पोते-पोतियाँ?
एक सुबह, एकदम थकी-हारी, उसने मुश्किल से आँखें खोलीं। “क्या ये सब खत्म हो गया?” उसने सोचा।
तभी, वो डरावनी आवाज़ फिर से आई:
“हैप्पी बर्थडे, दादी!”
उसका कलेजा ठंडा पड़ गया। ये कभी नहीं रुकेगा।
उसका हमेशा का बर्थडे… तो बस अब शुरू हुआ था।
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